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लालसा छंद (13-15)

*लालसा छंद*(13/15)
 राह नहीं होती सुगम,
उसमें सुगमता लानी है।
होता जीवन भी कठिन-
यात्रा आनी-जानी है।।

वही चढ़े गिरि पर सदा,
जिसमें धैर्य खज़ाना है।
जल में जब अँगुली पड़े-
निश्चित मीन को पाना है।।

नदी-धार की तेज गति,
जल की प्रबल रवानी है।
नाविक यदि है दक्ष तो-
नौका पार तो जानी है।।

परोपकार उत्तम सदा,
यही तो धर्म हमारा है।
संकट में जो साथ दे-
वही तो सत्य सहारा है।।

संत पुरुष जग देव सम,
वाणी उनकी सुहानी है।
लगे छुवन उनकी सुमन-
अद्भुत उनकी कहानी है।।
          ©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
             9919446372

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3 Comments

Milind salve

26-Dec-2023 06:46 PM

Nice

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Gunjan Kamal

25-Dec-2023 10:56 PM

बहुत खूब

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खूबसूरत भाव और संदेश देती हुई अभिव्यक्ति

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